बुधवार, अप्रैल 21, 2010

2012 में प्रलय..

2012 में प्रलय..
विभु आनन्द वेवाह ने अपनी ध्यान साधना से पता किया है कि २०१२ में प्रलय हो जायेगी और प्रथ्वी समाप्त हो जायेगी..इन्होने अभी इससे पहले भी जब स्थान स्थान पर धरती फ़टी थी..प्रार्थना सभांए इत्यादि का आयोजन किया था और देश में घूम घूमकर लोगों को बताते रहतेंहैं कि किस तरह प्रलय को रोका जा सकता है..इनका मानना है कि यदि लोग इनसे प्रार्थना करवाएं और अपने स्थान पर इनको आमंत्रित करें तो ये आने वाली प्रलय को रोक सकते हैं. इन्होनें इस सम्बन्ध में अमेरिका के राष्ट्रपति को भी पत्र भेजा हैं..ये अपनी साधना द्वारा एक आसमान को छूती हुयी आक्रति भी दिखाते है..और जो सीखना चाहे उसको सिखा भी देते हैं अतः जो
सज्जन उपरोक्त हेतु इनसे सम्पर्क करना चाहें वो इस नम्बर 09307489262 पर कर सकते हैं .धन्यवाद..

क्या 2012 में धरती पर प्रलय होगी ?

क्या 2012 में धरती पर प्रलय होगी ?
जीतिये सुपर बम्पर इनाम .
ज्योतिष , कुछ प्राचीन अभिलेख , नास्त्रेदेमस आदि लोंगों की भविष्यवाणी है कि 2012 में प्रलय होगी और दुनिया समाप्त हो जायेगी . आप को क्या लगता है ? क्या 2012 में प्रलय होगी ? end of the world 2012
हाँ yes
नहीं no
अपना जवाब sms करें मोबा .( 0 )93074 89262
Email करें vibhudixit71@yahoo.com
vibhudixit2012@yahoo.com
काल करें - (0) 93074 89262 पर
और जीतें आकर्षक इनाम .
प्रस्तुतकर्ता -
विभुआनन्द वेवाह .

मेरी नजर में मोती आया..

मेरी नजर में मोती आया..
कोई कहे हल्का कोई कहे भारी सब जग भरम भुलाया .
सिंहल चतुर्वत अष्ट द्वादश सहस कमल बिच काया
ताके ऊपर आप विराजे अदभुत रूप धराया..
है तिल में झिलमिल तिल भीतर तेहि तिल बीच छिपाया.
तिल की आङ पहाङ सी भासे परमपुरुष की छाया..
पुरुष अनामी सबका स्वामी रचि निज पिंड समाया.
ताकी नकल देख माया ने ये ब्रह्माण्ड बनाया..
बीज माँहि अंकुर तरु शाखा पत्र फ़ूल फ़ल छाया .
त्यों आतम में है परमातम ब्रह्म जीव और माया..
ये स्वयं अनुभूत भाव रचना करनपुर धाम ( जिला मैंनपुरी ) के संत स्व. श्री स्वयं आनन्द वेवाह द्वारा रचित है .उनके उन्नतोमुखी शिष्य विभु आनन्द वेवाह जो डिग्री कालेज में राजनीति विग्यान के प्रवक्ता है और गुरु की शिक्षाओं का प्रचार प्रसार कर रहें हैं .विभु आनन्द अपने गुरु द्वारा प्रदत्त की गयी एक कला जिसमें किसी भी इंसान को अपनी ही आक्रति आसमान जितनी ऊँची दिखाई देती है दिखाते हैं और आप उसको किस तरह दूसरों को दिखा सकते हैं इसका तरीका भी बताते हैं जिन महानुभावों को इस ग्यानमें दिलचस्पी हो वो उनके मोबा. 9307489262 पर सम्पर्क कर सकते हैं

उजियाला है उजियाला..

उजियाला है उजियाला..
उजियाला है उजियाला- घट भीतर पंथ निराला
त्रिकुटी महल में ठाकुर द्वारा जिसके अंदर चमके तारा .
चहुँ दिश परम तेज विस्तारा, सुन्दर रूप विशाला
सात खंड का बना मकाना, सूक्ष्म मार्ग दुष्कर जाना
गुरु क्रपा से चङे सुजाना ,पीवे अम्रत प्याला
सुरति हँसिनी उङी अकाशा, देखा अचरज सकल तमाशा
चौदह भुवन हुआ परकाशा ,खुल गया निर्गुण ताला
कर्मन का बन्धन सब टूटा ,माया मोह भरा घट फ़ूटा
ब्रह्मानन्द सकल भय छूटा , मिट गया सब भव जाला

ये स्वयं अनुभूत भाव रचना करनपुर धाम ( जिला मैंनपुरी )
के संत स्व. श्री स्वयं आनन्द वेवाह द्वारा रचित है .उनके
उन्नतोमुखी शिष्य विभु आनन्द वेवाह जो डिग्री कालेज में
राजनीति विग्यान के प्रवक्ता है और गुरु की शिक्षाओं का
प्रचार प्रसार कर रहें हैं .विभु आनन्द अपने गुरु द्वारा प्रदत्त
की गयी एक कला जिसमें किसी भी इंसान को अपनी ही
आक्रति आसमान जितनी ऊँची दिखाई देती है दिखाते हैं
और आप उसको किस तरह दूसरों को दिखा सकते हैं
इसका तरीका भी बताते हैं जिन महानुभावों को इस ग्यान
में दिलचस्पी हो वो उनके मोबा. 9307489262 पर
सम्पर्क कर सकते हैं
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