रविवार, नवंबर 20, 2011

पुराना व्यक्ति दमनकारी था

आनंदित हों कि पुराना मर रहा है । नया मनुष्य कोई युद्ध क्षेत्र नहीं है । विभाजित व्यक्तित्व नहीं है । बल्कि 1 अविभाज्य मानव की प्रतिमा है । अद्वितीय । जीवन के साथ समग्रता से सह क्रियाशील । नया मनुष्य मूर्तरूप है । अधिक सक्षम । रूपांतरित व्यक्तित्व का । बृह्मांड में नये ढंग से होने का । सत्य को 1 गुणात्मक भेद से देखने और अनुभव करने का । तो कृपा करें । और अतीत के बीत जाने का शोक न मनाएं । आनंदित हों कि पुराना मर रहा है । रात विदा हो रही है । और क्षितिज पर पौ फटने लगी है । मैं प्रसन्न हूं । अत्यंत प्रसन्न हूं कि पारंपरिक मनुष्य विदा हो रहा है कि पुराने church खंडहर बन रहे हैं ।  कि पुराने मंदिर सूने पड़े हैं । मुझे असीम प्रसन्नता है कि पुरानी नैतिकता धरती पर चारों खाने चित्त पड़ी है । यह 1 महान संकट की घड़ी है । यदि हम चुनौती स्वीकार कर लें । तो यह 1 अवसर है । नये को निर्मित करने का । अतीत में इतना उपयुक्त समय कभी भी नहीं था । तुम अत्यंत सुंदरतम युग में रह रहे हो । क्योंकि पुराना विदा हो रहा है । या विदा हो गया है । और 1 अराजकता पैदा हो गयी है । और अराजकता में से ही महान सितारों का जन्म होता है । तुम्हारे पास 1 सुअवसर है । पुनः नये बृह्मांड को निर्मित करने का । यह 1 अवसर है । जो दुर्लभ है । कभी कभी आता है । तुम सौभाग्यशाली हो कि ऐसे संकट के समय मौजूद हो । इस अवसर को नये मनुष्य के निर्माण करने में प्रयोग कर लो । और अभिनव मनुष्य को निर्मित करने के लिए तुम्हें स्वयं से शुरू करना होगा । नया मनुष्य सब कुछ 1 साथ होगा । रहस्यदर्शी । कवि और वैज्ञानिक । वह जीवन को पुराने । सड़े गले विभाजनों से नहीं देखेगा । वह 1 रहस्यदर्शी होगा । क्योंकि उसे god की उपस्थिति महसूस होगी । वह 1 कवि होगा । क्योंकि वह परमात्मा की उपस्थिति का महोत्सव मनाएगा । और वह वैज्ञानिक होगा । क्योंकि इस उपस्थिति की जांच वह वैज्ञानिक कार्यप्रणाली से करेगा । जब मनुष्य 1 साथ यह तीनों है । तो वह पूर्ण है । पुण्यात्मा की मेरी यही धारणा है । पुराना व्यक्ति दमनकारी था ।  आक्रामक था । पुराने व्यक्ति का आक्रामक होना स्वाभाविक था । क्योंकि दमन हमेशा आक्रमण लाता है । अभिनव मनुष्य सहज होगा । सृजनात्मक होगा । पुराना व्यक्ति सिद्धांतों में जीया । नया मनुष्य सिद्धांतों में नहीं जीएगा । नैतिकताओं में नहीं जीएगा । वह सचेतनता से जीएगा । अभिनव मनुष्य बोधपूर्वक जीएगा । नया मनुष्य उत्तरदायी होगा । उत्तरदायी स्वयं को । और अस्तित्व को । अभिनव मनुष्य पुराने अर्थों में नैतिक नहीं होगा । वह नीति निरपेक्ष होगा । नया मनुष्य अपने साथ 1 नया जगत लेकर आएगा । अभी नया मनुष्य 1 अल्पसंख्यक रूपांतरित वर्ग ही है । लेकिन वह नयी सभ्यता का संवाहक है । बीज है । उसे सहयोग दो । छत पर चढ़कर उसके आगमन की घोषणा करो । यही मेरा संदेश है तुम्हें । नया मनुष्य मुक्त है । और ईमानदार है । उसका सत्य दर्पण जैसा है । प्रामाणिक है । स्वयं को प्रकट करने वाला है । वह पाखंडी नहीं होगा । वह उद्देश्यों के लिए नहीं जीएगा । वह जीएगा । अभी । यहीं । वह केवल 1 ही समय से परिचित होगा । अभी । और 1 ही स्थान । यहां । और उस उपस्थिति में जान पाएगा कि god क्या है । आनंदित होओ । अभिनव मानव आ रहा है । पुराना विदा हो रहा है । पुराना पहले ही सलीब पर लटका है ।  और नये का क्षितिज पर पदार्पण हो चुका है । आनंदित होओ । मैं बारबार कहता हूं । ओशो ।

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