शुक्रवार, जुलाई 02, 2010

ब्लागर अनूप जोशी के कुछ और प्रश्न

dhnyabad sir mujhe itna time dene ke liye. bus sir ab ye to turk hai. me aapke sabhi utaaro ka fir se jabab de sakta hun. lekin us chij se sirf bahas hogi or kuch nahi.mera gyan adhyatam me bahut kam hai.fir bhi kuch sawal puch rahan hun:-सर कृपा कर के इनके जबाब साधारण भाषा में एक छोटी सी लाइन में दे । तो में दूसरो को समझा सकू । उधारण के तौर में में अगर बिज्ञान से कहूँ कि पानी क्या है । तो जबाब आएगा H20,या hyadrogen और oxigen का मिशिरण । लेकिन सर आपकी में बहुत इज्जत करता हूँ । आपकी हर पोस्ट पढता हूँ । अब अगर कोई इंसान कुछ जानना चाह रहा है । तो उसमे किसी को क्रोध नहीं आना चाहिये । क्या कहते है सर ?उत्तर-- अनूप जी आपके इसी प्रश्न के प्रतिप्रश्न में सारे सवालो का जबाब है । आप यदि एक अनपढ व्यक्ति से कहें कि पानी...। @ मैं आपसे पूछता हूँ । ये h2o क्या है । ये oxigen क्या है । तो आपको उसे समझाने हेतु थ्योरी और प्रक्टीकल आदि तमाम चीजें बतानी होंगी । फ़िर भी पानी बन जाने के बाद मूल प्रश्न ज्यों का त्यों रहेगा । आखिर इन दोनों मिश्रण से " पानी " बन कैसे जाता है ? जिस प्रकार आप इस फ़ार्मूले को ( अगर जानकार हैं तभी ) सिद्ध कर सकते हैं । कोई भी आत्म ग्यानी " आत्मा " को जानने का सरल मार्ग आपको बता सकता है । जिस प्रकार भौतिक चीजों का बिग्यान है । आत्मा का भी बिग्यान है । पर आप उसको अध्ययन करोगे तभी तो जान पाओगे ? क्रोध को खत्म करना साधु का पहला अध्याय है ।
१) विदेश में अवतार लेने वाले कुछ भगवान के नाम बता दीजिये ।उत्तर-- अवतार के बारे में संक्षेप में बताना कठिन है । अवतार आधा होता है । आपको लगता होगा कि राम कृष्ण आदि ही अवतार हुये थे । ईसा मसीह । बुद्ध । आल्हा ऊदल ( पांडवों के अवतार ) आदि हजारों छोटे अवतार भी हुये हैं । जिनमें मुझे अपने देश के अवतार भी ठीक से नहीं मालूम । सभी अवतारों का विवरण " हरिवंश पुराण " में दर्ज होता है । जिसमें होने वाला " कल्कि अवतार " भी पहले से लिखा है ।
विदेश में -- मुझे अभी जो ई मेल मिलते हैं । उनमें लिखे विदेशी नाम क्योंकि मुझे अटपटे लगते हैं । अतः एक घन्टे भी याद नहीं रहते तो फ़िर हजारों बरस पूर्व हुये विदेश अवतार कैसे याद रहेंगे ।
दूसरी महत्वपूर्ण बात-- लगभग दस हजार साल के अन्दर ही प्रथ्वी की भौगोलिक सरंचना । स्थानों के नाम
और संस्कृति में भारी बदलाब हो जाता है । इतिहास में झूठ की भरमार हो जाती है । मैंने प्रक्टीकल उपासना " ही की है । थ्योरी से मेरा वास्ता प्रसंगवश या जरूरत के अनुसार ही रहा है । ( फ़िर भी मैं सही नाम और स्थान मिलते ही आपको और पाठकों को अवश्य ही बताऊँगा । यदि कोई विदेश की जानकारी रखने वाला पाठक जानता हो तो कृपया अनूप जी को बताये । )
२) आपके अनुसार आत्मा एक योनी से दूसरी योनी में जाती है तो क्या जब सृस्ठी कि रचना शास्त्रो अनुसार ब्रह्मा ने कि होगी तो. बजाय कुछ जीव बनाने के इतने खरबों में जीव बनाये होंगे ? और अगर इतने जीव बना दिए तो उनको प्रजनन छमता क्यों दी ?उत्तर-- आत्मा कर्मों के अनुसार अन्य योनिंयो में ( मनुष्य छोङकर ) जाती है । सृष्टि आध्याशक्ति , ब्रह्मा , विष्णु , शंकर ने कृमशः अंडज ( अंडे से ) पिंडज ( शरीर से ) ऊष्मज ( जल आदि से ) और स्थावर ( वृक्ष , पहाङ आदि ) मिलकर बनाई । आध्याशक्ति इन तीनों की माँ थी । जिसका सीता के रूप में अवतार हुआ था । अगर सृष्टि में नर मादा और काम आकर्षण या प्रजनन आदि खेल न होते तो फ़िर क्या होता ? सब खेल ही तो है । जिसमें मोह का परदा है ।
३)भगवान् ने द्वापर । या सतयुग में ही अवतार लिया । अब जबकि कई रावण और कंस से भी कई गुना ज्यादा पापी यहाँ है तो अभी क्यों नहीं ।उत्तर -- लगभग प्रत्येक युग में अवतार होता है । आप अभी के राक्षस प्रवृति के लोगों की तुलना रावण आदि से कर रहे हैं । इनकी हैसियत उनके सामने मच्छर के बराबर भी नहीं है । वर्तमान में मलेच्छ प्रवृति के लोग बङेंगे । जब अधर्म अपनी सीमाओं को तोङ देगा । तब " कल्कि अवतार " होगा । जो
कुछ ही समय में होने वाला है । इस तरह के स्पष्ट रहस्य आप जानना चाहते हैं । तो एक सरल मन्त्र में आपको बता दूँगा । जिसके बाद आप खुद जान जायेंगे । बाकी इस तरह के रहस्य खोले नहीं जाते ।
४)अन्य धर्म वाले जो हमारे धर्म को नहीं मानते । और हम से कही गुना ज्यादा है ।वो भी क्या अज्ञानी है ? और अगर भगवान के रूप अनेक है । तो क्या आप भगवान के उन रूपों कि आराधना करते हो ?उत्तर-- सनातन धर्म एक ही है । जैसे मनुष्य के रूप में सब एक ही हैं । सिर्फ़ भाषा का अंतर होता है । जैसे , बिल्ली , केट ,बिलाब..अगर आप खोजें तो एक ही चीज के अलग अलग भाषाओं के अनुसार हजारों नाम हैं । भगवान as a मन्त्रालय । जो परमात्मा की सृष्टि का मन्त्रालय या संचालन करते हैं । ये सिर्फ़ अपने लोक के मालिक @ अथार्टी होते हैं । अगर आप ईसाई सिख उर्दू धर्म शास्त्र का अध्ययन करें । तो उसमें भी वही बात है । जो हिंदू धर्म ग्रन्थों में । मनुष्य को जो अच्छा लगता है । वह उसी को प्राप्त करता है । मैं " अद्वैत " मत का हूँ । जिसमें एक ही सर्वत्र है । दूसरा नहीं ।
५) मुझे जो कुछ अध्यातम लोगो ने बताया है कि अपनी योनी में अच्छे कर्म करने वाला आदमी कि योनी पाता है तो फिर यहाँ कुछ गरीब । कुछ अमिर । कुछ स्वस्थ । कुछ अपंग। कैसे हो जाते है ? और अगर ये पुराने जन्म का पाप है तो वो आदमी क्यों बना । कीड़ा क्यों नहीं ?उत्तर-- मनुष्य का जन्म दुबारा से चौरासी लाख योनियों को । जो साढे बारह लाख साल में पूरी होती है । को भोगने के बाद प्राप्त होता है ।शीघ्र ही दुबारा मानव जन्म अच्छे कर्मों से नहीं ग्यान से प्राप्त होता है । लाखों लोगों के करोंङो जन्मों के अलग अलग संस्कार होते हैं । उसी के अनुसार जीवन और स्वस्थ रोगी अमीर गरीब आदि स्थिति प्राप्त होती है ।
७) बाकी सर । मेने बिज्ञान हर चीज को सिद्ध करता है ये कहा था । बिज्ञान कोई चीज परदे में नहीं करता । सामने करता है । तो हम तो अज्ञानी है । अब हम तो कुण्डलनी शक्ति या महामंत्र नहीं ले सकते । एक अज्ञानी को इतना बता दे कि साधारण एक लाइन में हम कोई भी भगवान कि सिधता को कैसे देख सकते है ?
उत्तर-- ये सूर्य चन्दा अनोखी प्रकृति विविधिता भरा रंग बिरंगा जीवन बिग्यान की बदौलत है । या भगवान की बदौलत ? आप खुली आँखो से भगवान का विग्यान देखें । और फ़िर मनुष्य का बिग्यान । उसका बिग्यान कितना स्वचालित और परफ़ेक्ट है । अगर आप में पूरी लगन है । तो भगवान के दर्शन बतायी विधि से तीन महीने में हो जाते हैं । दिव्य नेत्र के द्वारा । " महामंत्र " जैसे नाम से न घबरायें ये सरल सहजयोग है ।

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