रविवार, नवंबर 20, 2011

जो काबा का पत्‍थर है यह जमीन का पत्‍थर नहीं है

मुसलमानों का तीर्थ है । काबा । काबा में मुहम्‍मद के वक्‍त तक 365 मूर्तियां थी । और हर दिन की 1 अलग मूर्ति थी । वह 365 मूर्तियां हटा दी गयी । फेंक दी गई । लेकिन जो केंद्रीय पत्‍थर था । मूर्तियों का । जो मंदिर को केंद्र था । वह नहीं हटाया गया । तो काबा मुसलमानों से बहुत ज्‍यादा पुरानी जगह है । मुसलमानों की तो उम्र बहुत लंबी नहीं है । 1400 वर्ष ।
लेकिन काबा लाखों वर्ष पुराना पत्‍थर है । और भी दूसरे 1 मजे की बात है कि वह पत्‍थर जमीन का नहीं है । अब तक तो वैज्ञानिक । क्‍योंकि इसके सिवाय कोई उपाय नहीं था । वह जमीन का पत्‍थर नहीं है । यह तो तय है । 1 ही उपाय था । हमारे पास कि वह उल्‍कापात में गिरा हुआ पत्‍थर है । जो पत्‍थर जमीन पर गिरते है । थोड़े पत्‍थर नहीं गिरते । रोज 10 हजार पत्‍थर जमीन पर गिरते है । 24 घंटे में । जो आपको रात तारे गिरते हुए दिखाई पड़ते है । वह तारे नहीं होते । वह उल्का है । पत्‍थर है । जो जमीन पर गिरते है । लेकिन जोर से घर्षण खाकर हवा का । वे जल उठते है । अधिकतर तो बीच में ही राख हो जाते है । कोई कोई जमीन तक पहुंच जाते है । कभी कभी जमीन पर बहुत बड़े पत्‍थर पहुंच जाते है । उन पत्‍थरों की बनावट और निर्मित सारी भिन्‍न होती है । यह जो काबा का पत्‍थर है । यह जमीन का पत्‍थर नहीं है । तो सीधा व्‍याख्‍या तो यह है कि यह उल्‍कापात में गिरा होगा । लेकिन जो और गहरे जानते है । उनका मानना है  वह उल्‍कापात में गिरा पत्‍थर नहीं है । जैसे हम आज जाकर चाँद पर जमीन के चिन्‍ह छोड़ आए है । समझ लें कि 1 लाख साल बाद यह पृथ्‍वी नष्‍ट हो चुकी हो । इसकी आबादी खो चुकी हो । कोई आश्चर्य नहीं है । कल अगर तीसरा महायुद्ध हो जाए । तो यह पृथ्‍वी सूनी हो जाए ।  पर चाँद पर जो हम चिन्‍ह छोड़ आए है ।  हमारे अंतरिक्ष यात्री चाँद पर जो वस्तुएँ छोड़ आए है । वे वहीं बनी रहेंगी । सुरक्षित रहेंगी । उन्‍हें बनाया भी इस ढंग से गया है कि लाखों वर्षो तक सुरक्षित रह सकें ।
अगर कभी कोई चाँद पर कोई भी जीवन विकसित हुआ । या किसी और ग्रह से चाँद पर पहुंचा । और वह चीजें मिलेंगी । तो उनके लिए भी कठिनाई होगी कि वे कहां से आयी है ? उनके लिए भी कठिनाई होगी । काबा का जो पत्‍थर है । वह सिर्फ उल्‍कापात में गिरा हुआ पत्‍थर नहीं है । वह पत्‍थर पृथ्‍वी पर किन्‍हीं और ग्रहों के यात्रियों द्वारा छोड़ा गया पत्‍थर है । और उस पत्‍थर के माध्‍यम से उस ग्रह के यात्रियों से संबंध स्‍थापित किए जा सकते थे । लेकिन पीछे सिर्फ उसकी पूजा रह गयी । उसका पूरा science खो गया  क्‍योंकि उससे संबंध के सब सूत्र खो गए । वह अगर किसी ग्रह पर गिर जाए । तो उस planet के यात्री भी क्‍या करेंगें ? अगर उनके पास इतनी वैज्ञानिक उपलब्‍धि हो कि उसके रेडियो को ठीक कर सकें । तो हमसे संबंध स्‍थापित हो सकता है । अन्‍यथा उसको तोड़ फोड़ करके वह उनके पास अगर कोई म्यूजियम होगा । तो उसमें रख लेंगे । और किसी तरह की व्‍याख्‍या करेंगे कि वह क्‍या है । और रेडियो तक उनका विकास न हुआ हो । तो वह भयभीत हो सकते है । उससे डर सकते है । अभिभूत हो सकते है । आश्चर्यचकित हो सकते है । पूजा कर सकते है ।
काबा का पत्‍थर उन छोटे से उपकरणों में से 1 है । जो कभी दूसरे अंतरिक्ष के यात्रियों ने छोड़ा । और जिनसे कभी संबंध स्थापित हो सकते थे । ये मैं उदाहरण के लिए कह रहा हूं आपको । क्‍योंकि तीर्थ हमारी ऐसी व्‍यवस्‍थाएं है । जिससे हम अंतरिक्ष के जीवन से संबंध स्‍थापित नहीं करते । बल्‍कि इस पृथ्‍वी पर ही जो चेतनाएं विकसित होकर विदा हो गयीं ।  उनसे  पुन: संबंध स्‍थापित कर सकते है ।
और इस संभावनाओं को बढ़ाने के लिए जैसे कि सम्‍मेत शिखर पर बहुत गहरा प्रयोग हुआ । 22 तीर्थकरों का । सम्‍मेत शिखर पर जाकर समाधि लेना । गहरा प्रयोग था । वह इस चेष्‍टा में था कि उस स्‍थल पर इतनी सघनता हो जाए कि संबंध स्‍थापित करने आसान हो जाएं । उस स्‍थान से इतनी चेतनाएं यात्रा करें । दूसरे लोक में कि उस स्‍थान और दूसरे लोक के बीच सुनिश्चित मार्ग बन जाएं । वह सुनिश्चित मार्ग रहा है । और जैसे जमीन पर सब जगह 1 सी वर्षा नहीं होती । घनी वर्षा के स्‍थल है । विरल वर्षा के स्‍थल है । रेगिस्‍तान है । जहां कोई वर्षा नहीं होती । और ऐसे स्‍थान है । जहां 500 इंच वर्षा होती है । ऐसी जगह है । जहां ठंडा है । सब और ice के सिवाए कुछ भी नहीं है । और ऐसे स्‍थान है । जहां सब गर्म है । और बर्फ भी नहीं बन सकती । ठीक वैसे ही पृथ्‍वी पर चेतना की Density और non density के स्‍थल है । और उनको बनाने की कोशिश की गई है । उनको निर्मित करने की कोशिश कि गई है । क्‍योंकि वह अपने आप निर्मित नहीं होंगे । वह मनुष्‍य की चेतना से निर्मित होंगे । जैसे सम्‍मेत शिखर पर 22 तीर्थकरों का यात्रा करके  समाधि में प्रवेश करना । और उसी 1 जगह से शरीर को छोड़ना । उस जगह पर इतनी घनी चेतना को प्रयोग है कि वह जगह चार्जड हो जाएगी । विशेष अर्थों में । और वहां कोई भी बैठे उस जगह पर । और उन विशेष मंत्रों का प्रयोग करें । जिन मंत्रों को उन 22 लोगों ने किया है । तो तत्‍काल उसकी चेतना शरीर को छोड़कर यात्रा करनी शुरू कर देगी । वह प्रक्रिया वैसी ही science की है । जैसी कि और विज्ञान की सारी प्रक्रियाएं है ।
आज से साढ़े 1400 वर्ष पूर्व । अन्तिम अवतार मुहम्मद  ने कहा था कि हज्रे अस्वद black stone स्वर्ग से उतरा है ( तिर्मिज़ी ) और आज science ने भी खोज करके सिद्ध कर दिया कि वास्तव में यह पत्थर जन्नती पत्थर है । इस खोज का सेहरा ब्रिटेन के 1 वैज्ञानिक रिचर्ड डिबर्टन के सर जाता है । जो स्वयं को मुस्लिम सिद्ध करते हुए kaba का दर्शन करने के लिए मक्का आया । वह अरबी भाषा जानता था । जब मक्का पहुंचा । तो काबा में दाखिल हुआ । और हज्रे अस्वद से एक टुकड़ा प्राप्त करने में सफल हो गया । उसे अपने साथ लंदन लाया । और ज्यूलोजी की लिबार्ट्री में उस पर तजर्बा शुरू कर दिया । खोज के बाद इस परिणाम पर पहुंचा कि हज्रे अस्वद धरती के पत्थरों में से कोई पत्थर नहीं । बल्कि आसमान से उतरा हुआ पत्थर है । और उसने अपनी पुस्तक ( मक्का और मदीना की यात्रा) में इस तथ्य को स्पष्ट किया । यह पुस्तक 1956 में अंग्रेजी भाषा में लंदन से प्रकाशित हुई । ओशो ।

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