शुक्रवार, अगस्त 06, 2010

सर्प द्वारा डसने पर ..?

शमशान । वल्मीक या बांबी । पर्वत । कुंआ । वृक्ष के कोटर । इन स्थानों में स्थित सर्प के काट लेने पर यदि दांत लगे स्थान पर तीन प्रच्छन रेखाएं बन जाती है । तो वह आदमी जीवित नहीं बचेगा । षष्टी तिथि । कर्क और मेष राशि में आने वाले नक्षत्र । मूल ।अश्लेषा । मघा आदि क्रूर नक्षत्र में भी सर्प द्वारा काटने से आदमी जीवित नहीं रहता । बगल । कमर । गला । सन्धि स्थान । मस्तक । कनपटी के अस्थिभाग । उदर । में सांप द्वारा काटने पर आदमी जीवित नहीं रहता । सर्पदंश के समय । दण्डी । शस्त्रधारी । भिखारी । तथा नग्न आदमी या औरत दिखाई दे तो उसे काल का दूत ही समझो । हाथ । मुख । गर्दन । पीठ में सर्प द्वारा काटने पर भी आदमी जीवित नहीं रहता । दिन के प्रथम भाग के पूर्व । अर्धयाम । का भोग सूर्य करता है । इस सूर्य भोग के बाद गणनाक्रम में जो ग्रह आते है । उन ग्रहो के द्वारा क्रम अनुसार शेष यामों का भोग होता है । कालगति में प्रत्येक दिन छः परिवर्तनों के साथ शेष ग्रहों का भोग माना जाता है । ज्योतिषियों ने कालचक्र के आधार पर रात्रि में शेषनाग । सूर्य । वासुकि नाग । चन्द्र । तक्षक नाग । मंगल । कर्कोटक । बुध । पद्म । गुरु । महापद्म नाग । शुक्र । शंख नाग । शनि । कुलिक । राहु को माना गया है ।
रात या दिन में ब्रहस्पति का भोगकाल आने पर सर्प देवताओं का भी अंत कर देने वाला होता है । अतः इस समय काटा आदमी किसी भी हालत में नहीं बच सकता । दिन में शनि की वेला होने पर राहु अशुभ धर्म से संयुक्त होता है । इसलिये वह अपने याम भोग और सन्धिकाल में अवस्थित में काल यानी यमराज की तरह गति वाला होता है । रात और दिन का मान तीस । तीस घटी का होता है । इस मान के अनुसार बने कालचक्र में । चन्द्रमा प्रतिपदा तिथि को पाद अंगुष्ठ । द्वितीया पैर से ऊपर । तृतीया गुल्फ़ । चतुर्थी जानु । पंचमी लिंग । छठी नाभि । सप्तमी ह्रदय । अष्टमी स्तन । नवमी कण्ठ । दशमी नासिका । एकादशी नेत्र । द्वादशी कान । त्रयोदशी भोंह । चर्तुदशी कनपटी । पूर्णिमा और अमावस्या को मस्तक पर निवास करता है । पुरुष के दांये भाग में तथा स्त्री के बांये भाग में चन्द्रमा की स्थिति होती है । जिस अंग में चन्द्र स्थित होता है । उस अंग में सर्प द्वारा डसने पर आदमी बच सकता है । यधपि सर्पदंश से उत्पन्न मूर्छा बहुत देर तक रहती है । फ़िर भी शरीर मर्दन से उसमें काफ़ी लाभ होता है । और वह दूर हो जाती है ।

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