एक जंगल की राह से एक जौहरी गुजर रहा था । देखा उसने राह में । एक कुम्हार अपने गधे के गले में एक बड़ा हीरा बांधकर चला आ रहा है । चकित हुआ । ये देखकर कि ये कितना मुर्ख है । क्या इसे पता नहीं है कि ये लाखों का हीरा है । और गधे के गले में सजाने के लिए बाँध रखा है । पूछा उसने कुम्हार से । सुनो ये पत्थर जो तुम गधे के गले में बांधे हो । इसके कितने पैसे लोगे ? कुम्हार ने कहा - महाराज ! इसके क्या दाम । पर चलो । आप इसके आठ आने दे दो । हमनें तो ऐसे ही बाँध दिया था कि गधे का गला सूना न लगे । बच्चों के लिए आठ आने की मिठाई गधे की और से ल जाएँगे । बच्चे भी खुश हो जायेंगे । और शायद गधा भी कि उसके गले का बोझ कम हो गया है । पर जौहरी तो जौहरी ही था । पक्का बनिया । उसे लोभ पकड़ गया । उसने कहा आठ आने तो थोड़े ज्यादा है । तू इसके चार आने ले ले ।
कुम्हार भी थोड़ा झक्की था । वह ज़िद पकड़ गया कि नहीं देने हो । तो आठ आने । नहीं देने है । तो कम से कम छह आने तो दे ही दो । नहीं तो हम नहीं बेचेंगे । जौहरी ने कहा - पत्थर ही तो है । चार आने कोई कम तो नहीं । और सोचा । थोड़ी दूर चलने पर आवाज दे देगा । आगे चला गया । लेकिन आधा फरलांग चलने के बाद भी कुम्हार ने उसे आवाज न दी । तब उसे लगा । बात बिगड़ गई । नाहक छोड़ा । छह आने में ही ले लेता । तो ठीक था । जौहरी वापस लौटकर आया । लेकिन तब तक बाजी हाथ से जा चुकी थी । गधा खड़ा आराम कर रहा था । और कुम्हार अपने काम में लगा था । जौहरी ने पूछा - क्या हुआ । पत्थर कहां है ? कुम्हार ने हंसते हुए कहा - महाराज एक रूपया मिला है । उस पत्थर का । पूरा आठ आने का फायदा हुआ है । आपको छह आने में बेच देता । तो कितना घाटा होता । और अपने काम में लग गया ।
पर जौहरी के तो माथे पर पसीना आ गया । उसका तो दिल बैठा जा रहा था । सोच सोच कर । हाय । लाखों का हीरा । यूं मेरी नादानी की वजह से हाथ से चला गया । उसने कहा - मूर्ख ! तू बिलकुल गधे का गधा ही रहा । जानता है । उसकी कीमत कितनी है । वह लाखों का था । और तूने एक रूपये में बेच दिया । मानो बहुत बड़ा खजाना तेरे हाथ लग गया ।
उस कुम्हार ने कहा - हुजूर मैं अगर गधा न होता । तो क्या इतना कीमती पत्थर गधे के गले में बाँध कर घूमता । लेकिन आपके लिए क्या कहूं ? आप तो गधे के भी गधे निकले । आपको तो पता ही था कि लाखों का हीरा है । और आप उस के छह आने देने को तैयार नहीं थे । आप पत्थर की कीमत पर भी लेने को तैयार नहीं हुए ।
यदि इन्सान को कोई वस्तु आधे दाम में भी मिले । तो भी वो उसके लिए मोल भाव जरुर करेगा । क्योकि लालच हर इन्सान के दिल में होता है । कहते है न । चोर चोरी से जाये । हेरा फेरी से न जाये । जौहरी ने अपने लालच के कारण अच्छा सौदा गवा दिया ।
धर्म का जिसे पता है । उसका जीवन अगर रूपांतरित न हो । तो उस जौहरी की भांति गधा है । जिन्हें पता नहीं है । वे क्षमा के योग्य है । लेकिन जिन्हें पता है । उनको क्या कहें ?
कुम्हार भी थोड़ा झक्की था । वह ज़िद पकड़ गया कि नहीं देने हो । तो आठ आने । नहीं देने है । तो कम से कम छह आने तो दे ही दो । नहीं तो हम नहीं बेचेंगे । जौहरी ने कहा - पत्थर ही तो है । चार आने कोई कम तो नहीं । और सोचा । थोड़ी दूर चलने पर आवाज दे देगा । आगे चला गया । लेकिन आधा फरलांग चलने के बाद भी कुम्हार ने उसे आवाज न दी । तब उसे लगा । बात बिगड़ गई । नाहक छोड़ा । छह आने में ही ले लेता । तो ठीक था । जौहरी वापस लौटकर आया । लेकिन तब तक बाजी हाथ से जा चुकी थी । गधा खड़ा आराम कर रहा था । और कुम्हार अपने काम में लगा था । जौहरी ने पूछा - क्या हुआ । पत्थर कहां है ? कुम्हार ने हंसते हुए कहा - महाराज एक रूपया मिला है । उस पत्थर का । पूरा आठ आने का फायदा हुआ है । आपको छह आने में बेच देता । तो कितना घाटा होता । और अपने काम में लग गया ।
पर जौहरी के तो माथे पर पसीना आ गया । उसका तो दिल बैठा जा रहा था । सोच सोच कर । हाय । लाखों का हीरा । यूं मेरी नादानी की वजह से हाथ से चला गया । उसने कहा - मूर्ख ! तू बिलकुल गधे का गधा ही रहा । जानता है । उसकी कीमत कितनी है । वह लाखों का था । और तूने एक रूपये में बेच दिया । मानो बहुत बड़ा खजाना तेरे हाथ लग गया ।
उस कुम्हार ने कहा - हुजूर मैं अगर गधा न होता । तो क्या इतना कीमती पत्थर गधे के गले में बाँध कर घूमता । लेकिन आपके लिए क्या कहूं ? आप तो गधे के भी गधे निकले । आपको तो पता ही था कि लाखों का हीरा है । और आप उस के छह आने देने को तैयार नहीं थे । आप पत्थर की कीमत पर भी लेने को तैयार नहीं हुए ।
यदि इन्सान को कोई वस्तु आधे दाम में भी मिले । तो भी वो उसके लिए मोल भाव जरुर करेगा । क्योकि लालच हर इन्सान के दिल में होता है । कहते है न । चोर चोरी से जाये । हेरा फेरी से न जाये । जौहरी ने अपने लालच के कारण अच्छा सौदा गवा दिया ।
धर्म का जिसे पता है । उसका जीवन अगर रूपांतरित न हो । तो उस जौहरी की भांति गधा है । जिन्हें पता नहीं है । वे क्षमा के योग्य है । लेकिन जिन्हें पता है । उनको क्या कहें ?
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