रविवार, नवंबर 20, 2011

miracle is nothing सिर्फ हाथ की तरकीब है

Miracle शब्‍द का हम प्रयोग करते है । तो साधु संतों का खयाल आता है । 1 जो ठीक ढंग से मदारी हैं । honest वे सड़क के चौराहों पर चमत्‍कार दिखाते है । दूसरे  ऐसे मदारी है । dishonest । बेईमान । वे साधु संतों के वेश में । वे ही चमत्‍कार दिखलाते है । जो चौरस्‍तों पर दिखाई जाते है । बेईमान मदारी siner है  । अपराधी है  । क्‍योंकि मदारीपन के अधार पर वह कुछ और मांग कर रहा है । अभी मैं कुछ वर्ष पहले 1 गाँव में था । 1 old man आया । मित्र लेकर आये थे । और कहा कि आपको कुछ काम दिखलाना चाहते है । मैंने कहा  । दिखायें । उस बढ़े ने अद्भुत काम दिखलाये । रूपये को मेरे सामने फेंका । वह 2 फिट ऊपर जाकर हवा में विलीन हो गया । मैंने उस बूढे आदमी से कहा । बड़ा miracle करते है आप । उसने कहा । no यह कोई miracle नहीं है । सिर्फ हाथ की तरकीब है । मैंने कहा । you are mad । सत्‍य साई बाबा हो सकते थे । क्‍या कर रहे हो । क्‍यों इतनी सच्‍ची बात बोलते हो ? इतनी ईमानदारी उचित नहीं है । लाखों लोग तुम्‍हारे दर्शन करते । तुम्‍हें मुझे दिखाने न आना होता । मैं ही तुम्‍हारे दर्शन करता ।
बह बूढ़ा आदमी हंसने लगा । कहने लगा । miracle  is nothing । सिर्फ हाथ की तरकीब है । उसने सामने ही ।  कोई मुझे मिठाई भेंट कर गया था  । 1 लडडू उठाकर । मुंह में डाला । चबाया । पानी पी लिया । फिर उसने कहा । कि नहीं । पसंद नहीं आया । फिर उसने पेट जोर से खींचा । पकड़कर लडडू को वापिस निकालकर सामने रख दिया । मैंने कहा  अब तो पक्‍का ही miracle है । उसने कहा कि नहीं । अब दुबारा आप कहिये । तो मैं न दिखा सकूंगा । क्‍योंकि लडडू छिपाकर आया । अरे वह लडडू पहले मैंने ही भेंट भिजवाये था । इसके पहले जो दे गया है । अपना ही आदमी है ।
मगर वह honest man है । 1 अच्‍छा आदमी है । यह मदारी समझा जायेगा । इसे कोई saint समझता । तो कोई बुरा न था । कम से कम सच्‍चा तो था । लेकिन मदारियों के दिमाग है । और वह कर रहे है । यही काम । कोई राख की पुड़िया निकाल रहा है । कोई ताबीज निकाल रहा है । कोई स्‍विस made घड़ियाँ निकाल रहा है । और छोटे साधारण नहीं । जिनको हम साधारण नहीं कहते है । गवर्नर । वाइस चाइन्‍सलर है  । high court के जजेस है । वह भी मदारियों के आगे हाथ जोड़े खड़े है । हमारे गर्वनर भी ग्रामीण से ऊपर नहीं उठ सके है । उनकी बुद्धि भी साधारण ग्रामीण आदमी से ज्‍यादा नहीं । फर्क इतना है कि ग्रामीण आदमी के पास certificate नहीं है । उसके पास सर्टिफिकेट है ।
चमत्‍कार । इस जगत में miracle जैसी चीज । सबमें होती नहीं । हो नहीं सकती । इस world में जो कुछ होता है । rule से होता है । हां । यह हो सकता है । नियम का हमें पता न हो । यह हो सकता है कि कार्य । कारण को हमें बोध न हो । यह हो सकता है । कि कोई link । कोई लिंक । कोई अज्ञात हो । जो हमारी पकड़ में नहीं आती । इसलिए बाद की कड़ियों को समझना बहुत मुश्‍किल हो जाता है ।
बाकू में । 1917 के पहले । जब रूस में क्रांति हुई थी । 1917 के पहले । बाकू में 1 मंदिर था । उस मंदिर के पास प्रतिवर्ष 1 मेला लगता था । वह दुनिया का सबसे बड़ा मेला था । कोई 2 करोड़ आदमी वहां इकट्ठा होते थे । और बहुत miracle की जगह थी वह । अपने आप fire उत्‍पन्‍न होती थी । वेदी पर अग्‍नि की लपटें प्रगट हो जाती थीं । लाखों लोग खड़े होकर देखते थे । कोई धोखा न था । कोई जीवन न था । कोई आग जलाता न था । कोई वेदी पास आता न था । वेदी पर अपने आप अग्‍नि प्रगट होती थी । चमत्‍कार भारी था । सैकड़ों वर्षो से पूजा होती थी । god प्रगट होते ।  अग्‍नि के रूप में । अपने आप ।
फिर 1917 में रक्‍त क्रांति हो गयी । जो लोग आये । वह विश्‍वासी न थे । उन्‍होंने मड़िया उखाड़कर फेंक दी । और गड्ढे खोदे । पता चला । वहां तेल के गहरे कुंए है । मिट्टी के तेल । मगर फिर भी यह बात तो साफ हो गयी कि मिट्टी के तेल के घर्षण से भी आग पैदा होती है । लेकिन खास दिन ही होती थी । जब तो खोजबीन करन पड़ी । तो पता चला कि जब पृथ्‍वी 1 विशेष angle पर होती है । अपने झुकाव के । तभी नीचे के तेल में घर्षण हो जाती है । इसलिए निश्‍चित दिन पर प्रतिवर्ष वह आग पैदा हो जाती थी । जब यह बात साफ़ हो गयी । तब वहां मेला लगना बंद हो गया । अब भी वहां आग पैदा होती है । लेकिन अब कोई इकट्टा नहीं होता है । क्‍योंकि कार्य कारण पता चल गया है । बात साफ़ हो गयी है । अग्‍नि देवता अब भी प्रकट होते है । लेकिन वह केरोसिन देवता होते है । अब वह अग्‍नि देवता नहीं रह गये । चमत्‍कार जैसी कोई चीज नहीं होती । चमत्‍कार का मतलब सिर्फ इतना ही होती है । कि कुछ है जो अज्ञात है । कुछ है जो छिपा है । कोई कड़ी साफ़ नहीं है । वह हो रहा है ।
1 stone होता है । अफ्रीका में । जो पानी को भाप को पी जाता है । पारस होता है । थोड़े से उसमें छेद होते है । वह भाप को पी लेते है । तो वर्षा में वह भाप को पी जाता है । लेकिन वह स्‍पंजी है । उसकी मूर्ति बन जाती है । वह मूर्ति जब गर्मी पड़ती है । जैसे सूरज से अभी पड़ रही है । उसमें से पसीना आने लगता है । उस तरह के पत्‍थर और भी दुनियां में पाये जाते है । पंजाब में 1 मूर्ति है । वह उसी पत्‍थर की बनी हुई है । जब गर्मी होती है । तो भक्‍तगण पंखा झलते है । उस मूर्ति को की god को पसीना आ रहा है । और बड़ी भीड़ इकट्ठी होती है । क्‍योंकि बड़ा miracle है । पत्‍थर की मूर्ति को पसीना आये ।
तो जब मैं उस village में ठहरा था । तो 1 सज्‍जन ने मुझे आकर कहा कि आप मजाक उड़ाते है । आप सामने देख लीजिए चलकर । god को पसीना आता है । और आप मजाक उड़ाते है । आप कहते है । भगवान को सुबह सुबह दातुन न क्‍यों रखते हो । पागल हो गये हो । पत्‍थर को दातुन रखते हो । कहते हो । भगवान सोयेंगे । अब भोजन करेंगे । जब उनको पसीना आ रहा है । तो बाकी सब चीजें भी ठीक हो सकती है । वह ठीक कह रहा है । उसे कुछ पता नहीं है । उसमें से पसीना निकलता है । जिस ढंग से आपमें पसीना बह रहा है । उसी ढंग से उसमें भी बहने लगता है । आप में भी पसीना कोई चमत्‍कार नहीं है । आपका शरीर पारस है । तो वह पानी पी जाता है । और जब गर्मी होती है । तो शरीर की अपनी एअरकंडीसिनिंग की व्‍यवस्‍था है । वह पानी को छोड़ देता है । ताकि भाप बनकर उड़े । और शरीर को ज्‍यादा गर्मी न लगे । वह पत्‍थर भी पानी पी गया है । लेकिन जब तक हमें पता नहीं है । तब तक बड़ा मुश्‍किल होता है । फिर इस संबंध में जिस वजह से उन्‍होंने पूछा होगा । वह मेरे ख्‍याल में है । 2 बातें और समझ लेनी चाहिए ।
1 तो यह कि चमत्‍कार saint तो कभी नहीं करेगा । नहीं करेगा । क्‍योंकि कोई saint आपके अज्ञान को न बढ़ाना चाहेगा । और कोई संत आपके अज्ञान का शोषण नहीं करना चाहेगा । संत आपके अज्ञान को तोड़ना चाहता है । बढ़ाना नहीं चाहता है । और चमत्‍कार दिखाने से होगा क्‍या ? और बड़े मजे की बात है । क्‍योंकि पूछते है । कि जो लोग राख से पुड़िया निकालते है । आकाश से ताबीज गिराते है । काहे को मेहनत कर रहे हैं  । राख की पुड़िया से किसका पेट भरेगा । ऐटमिक भट्ठियाँ आकाश से उतारों । कुछ काम होगा । जमीन पर उतारों । गेहूँ उतारों । गेहूँ के लिए america के हाथ जोड़ो । और असली चमत्‍कार हमारे यहां हो रहे है । तो गेहूँ क्‍यों नहीं उतार लेते हो । राख की पुड़िया से क्‍या होगा । गेहूँ बरसाओ ।
जब चमत्‍कार ही कर रहे हो । तो कुछ ऐसा miracle करो कि country को कुछ हित हो सके । सबके ज्‍यादा गरीब मुल्‍क । जमीन पर उतारों गेहूँ । उतारों घन । gold । चांदी । होने दो हीरे मोतियों कि बारिश । मिट्टी से बनाओ सोना । चमत्‍कार ही करने है । तो कुछ ऐसे करो । स्‍विस मेड घडी चमत्‍कार से निकालते हो । तो क्‍या फायदा होगा । कम से कम made in india भी निकालो । तो क्‍या होने वाला है । मदारी गिरी से होगा क्‍या ? कभी हम सोचे कि हम इस पागलपन में किस भ्रांति में भटकते है । पिछले 2 ढाई हजार वर्षो से  इन्‍हीं पागलों के चक्‍कर में लगे हुए है । और हम कैसे लोग है । कि हम यह नहीं पूछते । कि माना कि आपने राख की पुड़िया निकाल ली । अब क्‍या मतलब है । होना क्‍या है ? चमत्‍कार किया । बिलकुल चमत्‍कार किया । लेकिन राख की पुड़िया से होना क्‍या है ? कुछ और निकालो । कुछ काम की बात निकाल लो । वह कुछ नहीं । नहीं वह मुल्‍क दीन क्‍यों है । यहां तो 1 चमत्‍कारी संत पैदा हो जाये । तो सब ठीक हो जाए ।
अब तिब्‍बत में 1 किताब है । तिब्‍बतन बुक ऑफ दि डैड । तो अब तिब्‍बत का जो भी चौथा शरीर को उपलब्ध आदमी था । उसने सारी मेहनत इस बात पर की । कि मरने के बाद हम किसी को क्‍या सहायता दे सकते हे । आप मर गये हे । मैं आपको प्रेम करता हूं । लेकिन मरने के बाद मैं आपको कोई सहायता नहीं पहुंचा सकता हूं । लेकिन तिब्‍बत में पूरी व्‍यवस्‍था है । 7 week की । कि मरने के बाद 7 सप्‍ताह तक । उस आदमी को कैसे सहायता पहुंचायी जाये । और उसके कैसे guide मार्गदर्शन किया जाये । और उसको कैसे विशेष जन्‍म के लिए । उत्‍प्रेरित किया जाये । और उसे कैसे विशेष गर्भ में प्रवेश में सहयोग किया जाये । और किसी विशेष गर्भ में उसे पहुंचाया जाए ।  अभी science को वक्‍त लगेगा । कि वह इन सब बातों का पता लगाये । लेकिन यह लग जायेगा पता  । उसमें अड़चन नहीं है । और फिर इसकी वैलिडिटी ( प्रामाणिकता की जांच ) के भी सब उन्‍होंने उपाय खोजे  थे । कि इसकी जांच कैसे हो ।

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